खुद को खास इतना भी ना बना कि फिर आम ही ना रह पाए..मुद्दतो कोई पीछे-पीछे आया नहीं करता..
बार-बार कोई इतना मनाया भी नहीं करता..रफ्तार तेरी ज़िंदगी की तेज़ है इतनी,हमारे सिवा तेरा साथ
कोई निभाया नहीं करता..सूरत को तेरी ध्यान से कब देखा हम ने,रूह से ही जुड़े थे बस इतना ही सोचा
था हम ने...कुछ वक़्त और इंतज़ार करे गे तेरा,लाज़मी हो जाये गा हमारे लिए फिर से उन अंधेरो मे
लौटना,जहा हम अपने अंधेरो से लड़ कर,दुसरो को जीवन दिया करते है...जहां परिंदे भी हम से मिला
करते है..
बार-बार कोई इतना मनाया भी नहीं करता..रफ्तार तेरी ज़िंदगी की तेज़ है इतनी,हमारे सिवा तेरा साथ
कोई निभाया नहीं करता..सूरत को तेरी ध्यान से कब देखा हम ने,रूह से ही जुड़े थे बस इतना ही सोचा
था हम ने...कुछ वक़्त और इंतज़ार करे गे तेरा,लाज़मी हो जाये गा हमारे लिए फिर से उन अंधेरो मे
लौटना,जहा हम अपने अंधेरो से लड़ कर,दुसरो को जीवन दिया करते है...जहां परिंदे भी हम से मिला
करते है..