Wednesday, 20 November 2019

खुद को खास इतना भी ना बना कि फिर आम ही ना रह पाए..मुद्दतो कोई पीछे-पीछे आया नहीं करता..

बार-बार कोई इतना मनाया भी नहीं करता..रफ्तार तेरी ज़िंदगी की तेज़ है इतनी,हमारे सिवा तेरा साथ

कोई निभाया नहीं करता..सूरत को तेरी ध्यान से कब देखा हम ने,रूह से ही जुड़े थे बस इतना ही सोचा

था हम ने...कुछ वक़्त और इंतज़ार करे गे तेरा,लाज़मी हो जाये गा हमारे लिए फिर से उन अंधेरो मे

लौटना,जहा हम अपने अंधेरो से लड़ कर,दुसरो को जीवन दिया करते है...जहां परिंदे भी हम से मिला

करते है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...