शुद्ध प्रेम की वो परिभाषा,जिस को तुम ने भी कह डाला..तुम जैसा कोई नहीं..कोई भी तो नहीं..बहुत
बार सुनते है तुम से,खुद पे नाज़ फिर भी नहीं करते...हम कौन है,यह तुम भी ना जाने..परिभाषा हमारी
तुम भी पूरी नहीं कर पाए..जो धरा पे आया तेरी खातिर,पूजा के महीन धागों मे लिपटा मेरी रूह का हर
इक धागा..हा...मैं ही राधा.. मैं ही शिव की पुनीत छाया..इस से आगे ना मेरी कोई छाया,तू ना समझा
तो मुझ को अब क्या है इस जग से लेना-देना..पूजा बस इक धर्म है मेरा,युगो युगो तक तू ही है मेरा..
बार सुनते है तुम से,खुद पे नाज़ फिर भी नहीं करते...हम कौन है,यह तुम भी ना जाने..परिभाषा हमारी
तुम भी पूरी नहीं कर पाए..जो धरा पे आया तेरी खातिर,पूजा के महीन धागों मे लिपटा मेरी रूह का हर
इक धागा..हा...मैं ही राधा.. मैं ही शिव की पुनीत छाया..इस से आगे ना मेरी कोई छाया,तू ना समझा
तो मुझ को अब क्या है इस जग से लेना-देना..पूजा बस इक धर्म है मेरा,युगो युगो तक तू ही है मेरा..