तू अजनबी भी नहीं,बेगाना भी नहीं...कौन है तू,इस की खबर तुझ को भी नहीं..झूठ को हमेशा सच
साबित करना और सच की दुनियाँ से कोसो दूर रहना...यह ज़िंदगी है यारा,मतलब के यहाँ रिश्ते है..
साथ तब तल्क़ है,जब तल्क़ सर झुकते है..वज़ूद तेरा भी है और वज़ूद मेरा भी तो है...राहें हम ने भी
खास ऐसी चुनी,जिन पे चलना पहली सांस से जरुरी है...नूर बरसता है आप के चेहरे से,सुन कर यू
लगता है कि जो बाबा ने कहां,वो यक़ीनन सच लगता है..पर सच तो यह भी है कि तू आज भी अज़नबी
नहीं,ना ही बेगाना लगता है...
साबित करना और सच की दुनियाँ से कोसो दूर रहना...यह ज़िंदगी है यारा,मतलब के यहाँ रिश्ते है..
साथ तब तल्क़ है,जब तल्क़ सर झुकते है..वज़ूद तेरा भी है और वज़ूद मेरा भी तो है...राहें हम ने भी
खास ऐसी चुनी,जिन पे चलना पहली सांस से जरुरी है...नूर बरसता है आप के चेहरे से,सुन कर यू
लगता है कि जो बाबा ने कहां,वो यक़ीनन सच लगता है..पर सच तो यह भी है कि तू आज भी अज़नबी
नहीं,ना ही बेगाना लगता है...