Sunday 17 November 2019

तू अजनबी भी नहीं,बेगाना भी नहीं...कौन है तू,इस की खबर तुझ को भी नहीं..झूठ को हमेशा सच

साबित करना और सच की दुनियाँ से कोसो दूर रहना...यह ज़िंदगी है यारा,मतलब के यहाँ रिश्ते है..

साथ तब तल्क़ है,जब तल्क़ सर झुकते है..वज़ूद तेरा भी है और वज़ूद मेरा भी तो है...राहें हम ने भी

खास ऐसी चुनी,जिन पे चलना पहली सांस से जरुरी है...नूर बरसता है आप के चेहरे से,सुन कर यू

लगता है कि जो बाबा ने कहां,वो यक़ीनन सच लगता है..पर सच तो यह भी है कि तू आज भी अज़नबी

नहीं,ना ही बेगाना लगता है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...