Saturday 9 November 2019

रंग-रूप से गहरा सावन जैसा हू,दुनियाँ की परख मे काला हू..जिधर से गुजरु,यह जहाँ मुझ पे हँसता

है...ख्वाब अधूरे अब रह जाए गे सारे,कितने काम रुके है जो पीछे रह जाए गे सारे..कैसे अस्तित्व बनाऊ

अपना..तुम भी जाओ अपनी दुनियाँ मे,छोड़ मुझे अकेला..बात सुनी तो हम रुक ना पाए..''काले बदरा

काले नैना..सावन का बादल भी काला..बरसे गरज़ के जब यह काले बादल,पानी बरसाए साफ़ मोती के

जैसा..दुनियाँ रहती सफेदपोश पर दिल देखो तो सब का काला..तुम हो सब से न्यारे-न्यारे,रूप से क्या है

लेना-देना,दिल तेरा तो सोना-सोना ''

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...