दर्द आज भी तेरी बेरुखी का दिल को हिला देता है..कभी जो दो पल तू गुफ्तगू कर ले मुझ से,यह
दिल जैसे फिर खिल जाता है...छोटी सी यह ज़िंदगी और साथ है हज़ारो गम,दो पल जो मुझे दो
गे ज़िंदगी के अपने..यक़ीनन खुश हो जाए गे हम..साँसे रुक जाए,इस से पहले तुझी को तुझ से
मांग सकते है हम..डरो मत,प्यार कभी कुछ माँगा नहीं करता..प्यार जो देना जानता है सिर्फ,वो
अपने प्यार से भला क्या मांग सकता है..
दिल जैसे फिर खिल जाता है...छोटी सी यह ज़िंदगी और साथ है हज़ारो गम,दो पल जो मुझे दो
गे ज़िंदगी के अपने..यक़ीनन खुश हो जाए गे हम..साँसे रुक जाए,इस से पहले तुझी को तुझ से
मांग सकते है हम..डरो मत,प्यार कभी कुछ माँगा नहीं करता..प्यार जो देना जानता है सिर्फ,वो
अपने प्यार से भला क्या मांग सकता है..