प्यार पे जितना भी लिखा..इन्ही पन्नो को सौंप दिया..प्रेम-ग्रन्थ बना कर इस को दुनियां वालो के
हाथों मे दिया..यह दुनियां जो वाकिफ नहीं इस प्यार की सच्चाई से..दुनियां जो जानती है इस प्यार
को,लेने-देने की इक परछाई सी..पाने की जो सोचो गे तो प्यार की भाषा कैसे समझो गे..समर्पण को
खुदा मानो गे, तभी काजल की तरह प्यार को आँखों मे बसा पाओ गे..हम ने जितनी बार इन पन्नो को
छुआ,हर बार...बार-बार इस प्यार की खुशबू को महसूस किया...
हाथों मे दिया..यह दुनियां जो वाकिफ नहीं इस प्यार की सच्चाई से..दुनियां जो जानती है इस प्यार
को,लेने-देने की इक परछाई सी..पाने की जो सोचो गे तो प्यार की भाषा कैसे समझो गे..समर्पण को
खुदा मानो गे, तभी काजल की तरह प्यार को आँखों मे बसा पाओ गे..हम ने जितनी बार इन पन्नो को
छुआ,हर बार...बार-बार इस प्यार की खुशबू को महसूस किया...