हम खामोश क्यों है इतना.गर इतना ही पूछ लिया होता हम से, तो जान पाते कि क्यों इतना खामोश
है..सागर की अपार गहराई मे छिपे मोती,निकाल लेना आसान नहीं होता..बस वैसे ही हम को जान
पाना आसान नहीं होता..साँसों का साँसों के सामने निकलना,कभी देखा है..जो अपना नहीं मगर,उस
को अपनी आँखों के सामने जाते देखा है..अंतर बेशक जय्दा नहीं,पर यह भी तभी जान पाते जब हम
से यह पूछा होता कि हम इतने खामोश क्यों है...
है..सागर की अपार गहराई मे छिपे मोती,निकाल लेना आसान नहीं होता..बस वैसे ही हम को जान
पाना आसान नहीं होता..साँसों का साँसों के सामने निकलना,कभी देखा है..जो अपना नहीं मगर,उस
को अपनी आँखों के सामने जाते देखा है..अंतर बेशक जय्दा नहीं,पर यह भी तभी जान पाते जब हम
से यह पूछा होता कि हम इतने खामोश क्यों है...