Wednesday 13 November 2019

किस ने जाना किस ने देखा..कृष्णा का रहा कौन सा धाम..तुम चाहे घूमो गोकुल या जाओ वृंदाधाम..

प्रेम-प्यार का उन का राधा से नाता,है आज तक सूंदर पावन मधुर सा नाम..दुनिया मे शुद्ध-प्रेम का

मतलब किस ने जाना,यहाँ रहा हर कोई मुहब्बत मे डूबा छोटा सा नाम..जाते रहते हज़ारो कृष्ण के

धाम,पर क्या प्रेम वैसा कर पाए जैसा राधा-कृष्णा का प्रेम..प्रेम की मधुशाला गर जानी होती,इस जग

की राधा के शुद्ध-प्रेम को जाना होता तो सच मे हम भी कहते,सिर्फ तुम्ही हो कृष्ण,तुम्ही हो कृष्ण..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...