किस ने जाना किस ने देखा..कृष्णा का रहा कौन सा धाम..तुम चाहे घूमो गोकुल या जाओ वृंदाधाम..
प्रेम-प्यार का उन का राधा से नाता,है आज तक सूंदर पावन मधुर सा नाम..दुनिया मे शुद्ध-प्रेम का
मतलब किस ने जाना,यहाँ रहा हर कोई मुहब्बत मे डूबा छोटा सा नाम..जाते रहते हज़ारो कृष्ण के
धाम,पर क्या प्रेम वैसा कर पाए जैसा राधा-कृष्णा का प्रेम..प्रेम की मधुशाला गर जानी होती,इस जग
की राधा के शुद्ध-प्रेम को जाना होता तो सच मे हम भी कहते,सिर्फ तुम्ही हो कृष्ण,तुम्ही हो कृष्ण..
प्रेम-प्यार का उन का राधा से नाता,है आज तक सूंदर पावन मधुर सा नाम..दुनिया मे शुद्ध-प्रेम का
मतलब किस ने जाना,यहाँ रहा हर कोई मुहब्बत मे डूबा छोटा सा नाम..जाते रहते हज़ारो कृष्ण के
धाम,पर क्या प्रेम वैसा कर पाए जैसा राधा-कृष्णा का प्रेम..प्रेम की मधुशाला गर जानी होती,इस जग
की राधा के शुद्ध-प्रेम को जाना होता तो सच मे हम भी कहते,सिर्फ तुम्ही हो कृष्ण,तुम्ही हो कृष्ण..