टुकर-टुकर देखते रहे आसमां की तरफ,क्या हम इस को छू सकते है..खुद को परखा,खुद को जाना..
तैयार किया खुद को उड़ जाने के लिए..बाबा की हर हिदायत-माँ की हर सीख,साथ आज भी रखते है..
ज़माना राहें ना रोके हमारी,खौफ बिना खुद मे जीते है..कदम बेशक धीमे ही चले,मगर आसमां तो अब
हमारा है..झुकना थोड़ा सा उस को भी होगा,पंखो का साथ हम को ना लेना है..
तैयार किया खुद को उड़ जाने के लिए..बाबा की हर हिदायत-माँ की हर सीख,साथ आज भी रखते है..
ज़माना राहें ना रोके हमारी,खौफ बिना खुद मे जीते है..कदम बेशक धीमे ही चले,मगर आसमां तो अब
हमारा है..झुकना थोड़ा सा उस को भी होगा,पंखो का साथ हम को ना लेना है..