दिन जैसे ही ढलने लगा,मेरी दुआओं का असर चलने लगा..आंख से निकला एक बून्द आंसू और उसी
इक बून्द मे मेरा संसार सजने लगा..सिर्फ बून्द नहीं यह तो प्यार के इंतिहा की आवाज़ है,जो तुम ने
सुनी और मैंने भी सुनी..अंधेरे सारे छंटने को है..जिस रूप मे तुम्हे देखा,वो रूप बस सच होने को है...
जीवन कब किस मोड़ पे करवट ले,आगाज़ मुझे-तुझे नहीं..कुदरत किस पल क्या कर देती है,अंजाम
किसी को भी पता नहीं...
इक बून्द मे मेरा संसार सजने लगा..सिर्फ बून्द नहीं यह तो प्यार के इंतिहा की आवाज़ है,जो तुम ने
सुनी और मैंने भी सुनी..अंधेरे सारे छंटने को है..जिस रूप मे तुम्हे देखा,वो रूप बस सच होने को है...
जीवन कब किस मोड़ पे करवट ले,आगाज़ मुझे-तुझे नहीं..कुदरत किस पल क्या कर देती है,अंजाम
किसी को भी पता नहीं...