Friday 8 November 2019

दिन जैसे ही ढलने लगा,मेरी दुआओं का असर चलने लगा..आंख से निकला एक बून्द आंसू और उसी

इक बून्द मे मेरा संसार सजने लगा..सिर्फ बून्द नहीं यह तो प्यार के इंतिहा की आवाज़ है,जो तुम ने

सुनी और मैंने भी सुनी..अंधेरे सारे छंटने को है..जिस रूप मे तुम्हे देखा,वो रूप बस सच होने को है...

जीवन कब किस मोड़ पे करवट ले,आगाज़ मुझे-तुझे नहीं..कुदरत किस पल क्या कर देती है,अंजाम

किसी को भी पता नहीं...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...