सुबह की इस खूबसूरती पे दिल से फ़िदा हो गए है..हल्की हल्की सर्द हवा मे जैसे खो गए है..कुछ
माँगा खुदा से और खुदा को ही समर्पित हो गए है..नमाज़ की रस्म अदा करे या मंदिर मे फूल अर्पित
करे..जब दुनियाँ चलती है एक ही नाम से तो अलग अलग सजदा क्यों करे..प्यार बिखरा है जब चारो
तरफ तो कैसे ना कहे,मालिक मेरे--आप का शुक्रिया..शुक्रिया..
माँगा खुदा से और खुदा को ही समर्पित हो गए है..नमाज़ की रस्म अदा करे या मंदिर मे फूल अर्पित
करे..जब दुनियाँ चलती है एक ही नाम से तो अलग अलग सजदा क्यों करे..प्यार बिखरा है जब चारो
तरफ तो कैसे ना कहे,मालिक मेरे--आप का शुक्रिया..शुक्रिया..