आज जो दुआ मालिक ने सुनी,खुद पे यकीं और करने लगे..खुद से जयदा अपने प्रेम पे यकीं करने लगे..
यह नन्ही सी दुआ जो मांगी हम ने,पलक झपकते खुदा ने की पूरी..इत्मीनान और सकून दोनों इक साथ
मिले..जादू उस की आवाज़ का और ख़ुशी से पागल होना हमारा बदहवास सा,दिल की यह धड़कन क्यों
धक्-धक् से बहकती है..आज तो जैसे यह शाम भी महकती है..लगता है आज तो खुदा से जो भी मांग
लेते,सब मिल जाता..मगर भरे है सब्र है,जानते है,बिन मेहनत कुछ नहीं मिलता...
यह नन्ही सी दुआ जो मांगी हम ने,पलक झपकते खुदा ने की पूरी..इत्मीनान और सकून दोनों इक साथ
मिले..जादू उस की आवाज़ का और ख़ुशी से पागल होना हमारा बदहवास सा,दिल की यह धड़कन क्यों
धक्-धक् से बहकती है..आज तो जैसे यह शाम भी महकती है..लगता है आज तो खुदा से जो भी मांग
लेते,सब मिल जाता..मगर भरे है सब्र है,जानते है,बिन मेहनत कुछ नहीं मिलता...