Sunday 10 November 2019

कल कब कहाँ जन्म ले गे,पता नहीं..इन साँसों को जिए गे कब तक,पता नहीं..किस किस को छोड़ जाए

गे,यह भी पता नहीं...मंजूरे-खुदा को क्या होगा,यह राज़ भी मुझे पता नहीं..पता है तो सिर्फ इतना कि

जो सोचा है वो करना है..पता तो यह भी है,जिन राहो पे चलना है वो भरी है सिर्फ कांटो से..खुद के

कदमो को गर्म रेत की तपिश मे तपाया है इतना,खुद तो चले गे काँटों पे मगर जो साथ चले गे मेरे,

उन को इस तपिश से बरी करवाते जाए गे...खुद मे जो ताकत है,उस से उन सभी के हौसले बुलंद

करते जाए गे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...