जो भी किया रूह के कहने से किया...रूह की इज़ाज़त के बिना कुछ ना किया..राह की तलाश मे कितना
भटके,रूह का साथ तब भी रहा..जब भी उदास हुए,जब भी आंसू बहने लगे..ज़िंदगी से जब कभी बेज़ार
हुए,आवाज़ तब भी रूह की सुनते रहे..कमज़ोर ना पड़ना कभी किसी के आगे,मजबूती से चलना आगे..
यह आदेश जब खुद रूह ने दिया,आंसू सूख गए..मुस्कुराने के लिए लब जो हिले,हम तो बस अपनी रूह
के साथ हुए..
भटके,रूह का साथ तब भी रहा..जब भी उदास हुए,जब भी आंसू बहने लगे..ज़िंदगी से जब कभी बेज़ार
हुए,आवाज़ तब भी रूह की सुनते रहे..कमज़ोर ना पड़ना कभी किसी के आगे,मजबूती से चलना आगे..
यह आदेश जब खुद रूह ने दिया,आंसू सूख गए..मुस्कुराने के लिए लब जो हिले,हम तो बस अपनी रूह
के साथ हुए..