चुन चुन के हज़ारो लफ्ज़ लिखे..पर प्रेम पे अभी भी सब आधे-अधूरे ही रहे..कितना और लिखे गे,खुद
को भी नहीं पता..शायद तब तक,जब तक यह जग जाने गा इस प्रेम की भाषा...तकरार रहे मगर इक
विश्वास रहे..साथ नहीं पर साथ तो है..जीवन है या फिर मौत के धागे,प्यार हमेशा सब से आगे..मौत
कब छीन पाती है इस प्यार का धागा..जन्म-जन्म का है यह नाता..बहुत लफ्ज़ है लिखने बाकी,प्यार
की भाषा बहुत अनोखी..विरले समझे इस भाषा को,तभी तो लिखना है बहुत कुछ बाकी...
को भी नहीं पता..शायद तब तक,जब तक यह जग जाने गा इस प्रेम की भाषा...तकरार रहे मगर इक
विश्वास रहे..साथ नहीं पर साथ तो है..जीवन है या फिर मौत के धागे,प्यार हमेशा सब से आगे..मौत
कब छीन पाती है इस प्यार का धागा..जन्म-जन्म का है यह नाता..बहुत लफ्ज़ है लिखने बाकी,प्यार
की भाषा बहुत अनोखी..विरले समझे इस भाषा को,तभी तो लिखना है बहुत कुछ बाकी...