समर्पण और हवस का खेला..फर्क इन का किस ने देखा..जिसे माना दिल का मीत,समर्पण बना इबादत
का रूप..पाक बनाया जब दोनों ने इस को,समर्पण बन गया पूजा का फूल..तू मेरा मैं भी तेरी,महीन सा
धागा बना इक प्रीत...''हवस,नाम है देह का इक खेल''..आज साथ है तेरा तो कल कोई और होगा मेरा
नया मीत..बंधन का वादा देते,हवस साथ मे बांधे रखते..पल का रिश्ता पल मे टूटा..''समर्पण इबादत
सदियों का नाता,तू ही साथी तू ही वादा''...
का रूप..पाक बनाया जब दोनों ने इस को,समर्पण बन गया पूजा का फूल..तू मेरा मैं भी तेरी,महीन सा
धागा बना इक प्रीत...''हवस,नाम है देह का इक खेल''..आज साथ है तेरा तो कल कोई और होगा मेरा
नया मीत..बंधन का वादा देते,हवस साथ मे बांधे रखते..पल का रिश्ता पल मे टूटा..''समर्पण इबादत
सदियों का नाता,तू ही साथी तू ही वादा''...