प्रेम के स्वर साथ- साथ है..खोने के डर से इन को ,कभी खौफ मन मे आया नहीं..आसमां से जो बरस
रही उस मालिक की दुआ,इन प्रेम के स्वरों को साँसे देती जाए गी...सब कुछ खो कर गर उस मालिक
का करम साथ है,तो यहाँ इंसानो का क्या काम है..प्रेम के बेशकीमती धागे जब जुड़ते है रूहों के स्वरों
से,तो खुद ही प्रेम आता है धरातल पे..अब प्रेम ही ना समझे गर प्रेम की भाषा,तो खोने का डर किस
को आता है..इसलिए तो कहते है,प्रेम के स्वर हमेशा साथ है..
रही उस मालिक की दुआ,इन प्रेम के स्वरों को साँसे देती जाए गी...सब कुछ खो कर गर उस मालिक
का करम साथ है,तो यहाँ इंसानो का क्या काम है..प्रेम के बेशकीमती धागे जब जुड़ते है रूहों के स्वरों
से,तो खुद ही प्रेम आता है धरातल पे..अब प्रेम ही ना समझे गर प्रेम की भाषा,तो खोने का डर किस
को आता है..इसलिए तो कहते है,प्रेम के स्वर हमेशा साथ है..