Sunday 3 November 2019

''सरगोशियां,प्रेम ग्रन्थ''..जिस मे लिखे जाने वाला हर शब्द एक शायरा / एक कलाकार /एक लेखिका
की मेहनत का निचोड़ है..अफ़सोस की बात है कि कुछ ग़लत मानसिकता वाले लोग इन शब्दों को या तो अपनी ज़िंदगी से जोड़ते है या फिर मेरी..एक सज़्ज़न लिखते है कि'' आप बहुत दुखी है क्या''..आप के शब्दों मे दर्द क्यों है ? क्या कहू इन जैसो से..क्यों कि इन शब्दों को लिखने वाली इक महिला है..क्या उस को यह समाज लेखिका /शायरा /कलाकार बनने से रोकना चाहता है ? गलत सोच के लोगो से दुःख होता है.पूछती हू इन जैसे तमाम इंसानो से कि अगर इन शब्दों को कोई पुरुष लिखता है तो क्या उस को भी आप की गन्दी सोच यही कहे गी ???? निवेदन करती हू आप जैसी सोच वालो से,जब किसी कला को आप समझ ही नहीं पा रहे तो मेरी मित्र-सूची से खुद ही बाहर हो जाए...एक महिला को उस के शिखर तक पहुंचने मे कोई मदद नहीं कर सकते तो कम से कम उस के रास्ते का रोड़ा मत बने..पढ़ाई-लिखाई क्या आप जैसो को यह सिखाती है ???????? किसी के भी कहने से,मेरी कलम लिखना नहीं छोड़ सकती..अपनी सोच को विकसित करे,किसी के निजी जीवन मे ना झांके..शायद इतना काफी है,आप जैसो को समझाने के लिए......'''''''शायरा...सरगोशियां..इक  प्रेम ग्रन्थ.''''''''''''

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...