दिन और तारीख का इस मुहब्बत से क्या वास्ता..बंधे जब सुर-ताल साथ मे तो वक़्त से क्या लेना
मशवरा..दूरियां बेशक रहे,गुफ्तगू भी रहे ना रहे,सिलसिले बेशक रुकते रहे..अंकुर जो बोए प्रेम
के,वो तो खुद ब खुद अंकुरित होते रहे..संबंधो का अंत कभी होता नहीं,मर कर भी दूर कोई जाता
नहीं..प्रेम तो प्रेम है..मौन से है जिस का वास्ता,मौन है जिस का रास्ता..रूहानी-खेल है प्रेम यह..
अनंत था,अनंत है अनंत ही रहे गा प्रेम यह.....
मशवरा..दूरियां बेशक रहे,गुफ्तगू भी रहे ना रहे,सिलसिले बेशक रुकते रहे..अंकुर जो बोए प्रेम
के,वो तो खुद ब खुद अंकुरित होते रहे..संबंधो का अंत कभी होता नहीं,मर कर भी दूर कोई जाता
नहीं..प्रेम तो प्रेम है..मौन से है जिस का वास्ता,मौन है जिस का रास्ता..रूहानी-खेल है प्रेम यह..
अनंत था,अनंत है अनंत ही रहे गा प्रेम यह.....