Sunday 15 December 2019

अपनी हर नाकामयाबी पे नाज़ है आज भी..कामयाबी जिस ने ऊँचा उठाया गर हम को,नाकामयाबी

की ठोकरों ने हौसला उतना ही बुलंद किया हमारा..गर्म रेत पे जितना झुलसे पाँव हमारे,शाँत हुए उतने

ही मन और दिमाग हमारे..मुश्किलात की राहें तब्दील हुई ऐसे,जुगनू चल रहे हो अँधेरी रातो मे जैसे..

रिमझिम बरखा सिखा गई आंसू पीने,सूरज की तेज़ रौशनी सिखा गई हर हालात मे जीना जीने..सिक्को

ने  सिखाया,सब कुछ मैं ही नहीं..मुझ से ऊपर है संस्कार तेरे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...