Saturday 28 December 2019

निखर रही है क्यों रूप की यह चांदनी..कि रूहे-सनम मिलने आने वाला है..सजा ले हम भी अपनी

रूह को प्यार से कि सनम को हमारा रूहे-अंदाज़ बहुत पसंद है...नूर देख हमारे चेहरे का वो हम पे

फ़िदा होता है..सर्द हवा का मौसम है,सितारों से राह निकाल मेरे पास आना है..ताकीद तो है उस की

यही  कि हम उसी के जहां मे संग उसी के लौट जाए..याद उस को यह भी दिलाना है,वक़्त कम है

मगर जो वादा तुम से किया था कभी वो पूरा कर के ही आना है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...