निखर रही है क्यों रूप की यह चांदनी..कि रूहे-सनम मिलने आने वाला है..सजा ले हम भी अपनी
रूह को प्यार से कि सनम को हमारा रूहे-अंदाज़ बहुत पसंद है...नूर देख हमारे चेहरे का वो हम पे
फ़िदा होता है..सर्द हवा का मौसम है,सितारों से राह निकाल मेरे पास आना है..ताकीद तो है उस की
यही कि हम उसी के जहां मे संग उसी के लौट जाए..याद उस को यह भी दिलाना है,वक़्त कम है
मगर जो वादा तुम से किया था कभी वो पूरा कर के ही आना है..
रूह को प्यार से कि सनम को हमारा रूहे-अंदाज़ बहुत पसंद है...नूर देख हमारे चेहरे का वो हम पे
फ़िदा होता है..सर्द हवा का मौसम है,सितारों से राह निकाल मेरे पास आना है..ताकीद तो है उस की
यही कि हम उसी के जहां मे संग उसी के लौट जाए..याद उस को यह भी दिलाना है,वक़्त कम है
मगर जो वादा तुम से किया था कभी वो पूरा कर के ही आना है..