ऐतबार किया तभी तो प्यार का मतलब समझ आया..यकीन को खुद मे भरा तो फलसफा मुहब्बत
का नज़र आया..कुछ भी नहीं माँगा तभी तो जाना,मुहब्बत सज़दे के सिवा कुछ भी नहीं..सलामती
मांग कर भी खामोश रहे,मुहब्बत की दास्तां मे यह भी मुकाम खास पाया..रात भर जागे मगर उफ़ भी
ना की,तभी तो रात होने का मतलब खवाब ही पाया..सुबह सूरज की किरणों ने जगाया तो रात भर
जागने का मतलब समझ आया...
का नज़र आया..कुछ भी नहीं माँगा तभी तो जाना,मुहब्बत सज़दे के सिवा कुछ भी नहीं..सलामती
मांग कर भी खामोश रहे,मुहब्बत की दास्तां मे यह भी मुकाम खास पाया..रात भर जागे मगर उफ़ भी
ना की,तभी तो रात होने का मतलब खवाब ही पाया..सुबह सूरज की किरणों ने जगाया तो रात भर
जागने का मतलब समझ आया...