Monday 16 December 2019

शाम ढलते ही तेरा रात को अलविदा कहना,यू लगता है मुझे अब सब कुछ ख़ाली-ख़ाली है...आसमां

मे बेशुमार सितारे है,रात भर वो हम से बात करते है...बात चलती है जब तेरी मौजूदगी की,हम तो कुछ

भी बोल नहीं पाते है..क्या कहे उन सब से,हमारा चाँद तो शाम ढलते ही ढल जाता है..बिन बादलों के

भी अपने मे ही ग़ुम हो जाता है..शायद शाम को ही रात का एहसास कराना,उस की खास आदत है...

पर खास आदत तो हमारी भी है,रात जब शबाब पे आये तो ही उस को रात कहते है..तेरी तरह शाम को

बेवजह ही रात नहीं कहते...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...