कलम हमारी जब जब भी आवाज़ उठाती है..कभी टूटे दिलो को मिला देती है तो कभी खुद्दारी का
पाठ कितनो को सिखा देती है..लफ्ज़ मचलते है खुद ही किसी को पनाह देने के लिए..तो कभी सिरे
से किसी को पटक भी देते है..कितनो को सिखाया हंसना इस ने और कितने डूब गए इस कलम के
हसीन लफ्ज़ो मे..उदासी का जामा पहने बहुत बार यह कलम रोई है..मगर अपनी खुद्दारी से खुद ही
संभल जाती है..यह कलम तो सिर्फ हमारी है,आखिरी सांस तक लिखती जाए गी..बहुत कुछ लिखते
लिखते हज़ारो का नसीब बदल जाए गी....
पाठ कितनो को सिखा देती है..लफ्ज़ मचलते है खुद ही किसी को पनाह देने के लिए..तो कभी सिरे
से किसी को पटक भी देते है..कितनो को सिखाया हंसना इस ने और कितने डूब गए इस कलम के
हसीन लफ्ज़ो मे..उदासी का जामा पहने बहुत बार यह कलम रोई है..मगर अपनी खुद्दारी से खुद ही
संभल जाती है..यह कलम तो सिर्फ हमारी है,आखिरी सांस तक लिखती जाए गी..बहुत कुछ लिखते
लिखते हज़ारो का नसीब बदल जाए गी....