Monday 9 December 2019

सब गर एक ही सिक्के के पहलू होते,तो हम सब से अलग क्यों होते..बने जब तेरे लिए ही है तो यह

सिक्के हमारे लिए क्या मायने रखते...शाम के धुंधलके से परे,सुबह की लाली से परे..दुनियां का साज़

तुम्ही से तो है...मुस्कुराना बस तुझ को सिखा दे,दुनियां की जंग मे हिम्मत से रहना भी सिखा दे..यह

फ़र्ज़ नहीं,यह तो हमारा रुतबा है..हमारी चमक हमारी हंसी,जीने की बिंदास अदा..अनंत काल तक

मजबूर तुझे हमारा होने पे कर दे..अलग-थलग है तभी तो तेरी राधा है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...