नींद की परतों से जागे आज तो लगा बरसो बाद सोए है...नींद ने ऐसे लिया अपनी आगोश मे,सितारों
के बीच चाँद जैसे खो गया हो मदहोश मे..सपनो की दुनियां मे थे या हकीकत के किसी खवाब मे..
जहा भी थे बहुत सकून बहुत आराम से थे...शामियाना पलकों का यू बंद था,कमरे मे रात थी लेकिन
उजाला आँखों मे था..मुद्दत का सपना साकार होने को है,कि नींद की परतों से जागे आज तो लगा
बरसो बाद आज ही तो सोए है...
के बीच चाँद जैसे खो गया हो मदहोश मे..सपनो की दुनियां मे थे या हकीकत के किसी खवाब मे..
जहा भी थे बहुत सकून बहुत आराम से थे...शामियाना पलकों का यू बंद था,कमरे मे रात थी लेकिन
उजाला आँखों मे था..मुद्दत का सपना साकार होने को है,कि नींद की परतों से जागे आज तो लगा
बरसो बाद आज ही तो सोए है...