Monday 2 December 2019

नींद की परतों से जागे आज तो लगा बरसो बाद सोए है...नींद ने ऐसे लिया अपनी आगोश मे,सितारों

के बीच चाँद जैसे खो गया हो मदहोश मे..सपनो की दुनियां मे थे या हकीकत के किसी खवाब मे..

जहा भी थे बहुत सकून बहुत आराम से थे...शामियाना पलकों का यू बंद था,कमरे मे रात थी लेकिन

उजाला आँखों मे था..मुद्दत का सपना साकार होने को है,कि नींद की परतों से जागे आज तो लगा

बरसो बाद आज ही तो सोए है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...