Wednesday 25 December 2019

यह तो हमारा रुतबा है..यह तो हमारा दावा है..ना है आसमां के और ना ही किसी लोक से है जुड़े..

टूटा जो किसी का अंतर्मन,रूठा जो किसी का उजलापन..अनमोल किसी डोर से बंधे,बचपन के

किसी परी-लोक से जुड़े..सब का दर्द हरते ही रहे..दुनिया समझी हम को दीवाना,पागल-अल्हड़

कितने और नामो से पुकारा..हम को तो जो करना है,राह अपनी पे चलना है..बेशक दर्द  कितने

मिले..यह तो रीत दुनिया की बहुत पुरानी है,जो पंख परिंदे को दे उस को उड़ा देता है..वही परिंदा

जाते-जाते नासूर गहरा दे जाता है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...