''दौलत और ऐशो-आराम साथ मे हो तो प्यार रंगीन हो जाता है--शब्दों मे नहीं, प्यार तो सिर्फ मंहगे
लिबासो मे होता है'' सुन के यह,दिल दर्द से भर आया.. हम प्यार बसाते रहे दुनियां के हर इंसा के
जज्बे मे.. मुहब्बत को आवाज़ लगाते रहे अपने पाक लफ्ज़ो से..परिशुद्ध प्रेम की परिभाषा के लिए
प्रेम-ग्रन्थ रचा हम ने..सादगी को अपना लिया,मुहब्बत को भी ढाला सादगी भरे शब्दों मे हम ने..जो
दौलत के तराज़ू मे तुल जाए तो प्यार कहा होगा..जो रख दे शर्ते हज़ारो,वो मुहब्बत का वारिस कहा
होगा..सीने मे बहुत दर्द उठता है,जब प्यार को दौलत के तराजू और गलत शर्तो मे तोला जाता है..
लिबासो मे होता है'' सुन के यह,दिल दर्द से भर आया.. हम प्यार बसाते रहे दुनियां के हर इंसा के
जज्बे मे.. मुहब्बत को आवाज़ लगाते रहे अपने पाक लफ्ज़ो से..परिशुद्ध प्रेम की परिभाषा के लिए
प्रेम-ग्रन्थ रचा हम ने..सादगी को अपना लिया,मुहब्बत को भी ढाला सादगी भरे शब्दों मे हम ने..जो
दौलत के तराज़ू मे तुल जाए तो प्यार कहा होगा..जो रख दे शर्ते हज़ारो,वो मुहब्बत का वारिस कहा
होगा..सीने मे बहुत दर्द उठता है,जब प्यार को दौलत के तराजू और गलत शर्तो मे तोला जाता है..