यह नज़र जा रही है दूर तल्क़,शायद आसमां को छूने का इरादा है..यह कदम चल रहे है तेज़ी से,बेशक
मंज़िल को पा लेने की ख्वाईश है..खवाब अधूरे ना रह जाए,मेहनत करने की ज़िंदादिली तो अभी बाकी
है..खुशमिज़ाज़ रहे गे तभी तो जहां जीत पाए गे..दुनियां तो राहें रोकती आई है बार-बार,ज़िद तो हम ने
कहा छोड़ी है..किसी ने रुला दिया, किसी ने सजा दे कर तबाह कर दिया...कुछ दुआ थी साथ तो कुछ
कुदरत का नेक इरादा था,जहां जहां पांव रखे कुछ नेक इंसा भी मिले..आज जो पाया है,जज्बा ख़ुशी
का गहरा रंग लाया है..
मंज़िल को पा लेने की ख्वाईश है..खवाब अधूरे ना रह जाए,मेहनत करने की ज़िंदादिली तो अभी बाकी
है..खुशमिज़ाज़ रहे गे तभी तो जहां जीत पाए गे..दुनियां तो राहें रोकती आई है बार-बार,ज़िद तो हम ने
कहा छोड़ी है..किसी ने रुला दिया, किसी ने सजा दे कर तबाह कर दिया...कुछ दुआ थी साथ तो कुछ
कुदरत का नेक इरादा था,जहां जहां पांव रखे कुछ नेक इंसा भी मिले..आज जो पाया है,जज्बा ख़ुशी
का गहरा रंग लाया है..