वो कहते है हर चेहरे मे,उन को हमारी झलक दिखती है..अल्लाह-तौबा,कभी कहते हो हम जैसा कोई
और नहीं..तुम हो बेहद खास बहुत ही खास..जब है हम इतने खास,तो हर चेहरा हम जैसा क्यों होगा..
फिर यह मुहब्बत नहीं,यह तो नज़र का धोखा है..इज़ाज़त तो हम अपने आइने को भी नहीं देते कि वो
हम को हम से जयदा झलका दे..तेरी बात करे तो कहते है,तेरा चेहरा सुभान-अल्लाह..इस के जैसा
कोई और ना ठहरा..यह है मुहब्बत का ऐसा पहरा,तेरा जैसा और ना दूजा...
और नहीं..तुम हो बेहद खास बहुत ही खास..जब है हम इतने खास,तो हर चेहरा हम जैसा क्यों होगा..
फिर यह मुहब्बत नहीं,यह तो नज़र का धोखा है..इज़ाज़त तो हम अपने आइने को भी नहीं देते कि वो
हम को हम से जयदा झलका दे..तेरी बात करे तो कहते है,तेरा चेहरा सुभान-अल्लाह..इस के जैसा
कोई और ना ठहरा..यह है मुहब्बत का ऐसा पहरा,तेरा जैसा और ना दूजा...