कितनी ही खुशियाँ बिखरी है आगे ज़िंदगी की राहो मे..फिर क्यों कहे ऐ ज़िंदगी,तेरा ऐतबार हम
नहीं करते..हा सच यह भी है,तू दर्द जब जब देती है,बेइंतिहा देती है..पर शायद तू बेखबर है मेरे
दिल की झंकार से,जो ना तब डरा जब दर्द से बेहाल था..दर्द तो आज भी है इतने,जो तुझ को बताया
तुम तो फिर से बेइंतिहा हो जाओ गी..और हम अब वैसे रहे नहीं,जो तेरी बेइंतिहाई से खौफ खा मर
जाए गे..काश तुझे यह खबर हो जाए,तेरे दिए दर्द की चादर इतनी बड़ी नहीं,जितना हमारी हिम्मत का
समंदर गहरा है...फिर भी तुझे प्यार तो करते रहे गे अरे ज़िंदगी...
नहीं करते..हा सच यह भी है,तू दर्द जब जब देती है,बेइंतिहा देती है..पर शायद तू बेखबर है मेरे
दिल की झंकार से,जो ना तब डरा जब दर्द से बेहाल था..दर्द तो आज भी है इतने,जो तुझ को बताया
तुम तो फिर से बेइंतिहा हो जाओ गी..और हम अब वैसे रहे नहीं,जो तेरी बेइंतिहाई से खौफ खा मर
जाए गे..काश तुझे यह खबर हो जाए,तेरे दिए दर्द की चादर इतनी बड़ी नहीं,जितना हमारी हिम्मत का
समंदर गहरा है...फिर भी तुझे प्यार तो करते रहे गे अरे ज़िंदगी...