Sunday 29 December 2019

कौन जाने कल क्या होने वाला है ..क्या पता किस को कहा जाना है..जीवन-रेखा से परे जहां कही

और बसाना है..यह कदम चलते-चलते कहा किस और मुड़ जाने है..बेफिक्री रहनी है या गहरे फ़िक्र

मे किसी को आना है..क्या पता इन सितारों की दिशा किस और जानी है..साँसों को मोहलत कितनी

किस को मिल जानी है..मुस्कुरा लेते है तब तल्क़,जब तक यह सांस आनी-जानी है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...