Thursday 26 December 2019

शब्द कही पढ़े हम ने ''प्रेम के लिए ना जरुरत है देह की,ना किसी स्वर की..ना जरुरत मिलने की,ना

किसी रिश्ते की. ''   प्रेम तो इक बहुत शुद्ध सा वादा है,जैसा भी है बस इक सीधा-सादा नाता है..जिस

ने समझा वो रूह का पाक-साफ़ इरादे वाला है..दर्द मिले या सुख की बेला,प्रेम तो अनंत-काल का इक

सफर सुहाना है..रूप बदल कर जब रूहे मिलती है,परिशुद्ध प्रेम की परिक्रमा को दोहराती है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...