Friday 20 December 2019

यू बार-बार राहें रोके गे हमारी तो साथ हमारे कैसे चल पाए गे...जरुरत मुझे तेरी और तुझे मेरी है,यह

बात बार-बार तुम को कैसे समझाए गे...चाँद की तरह बार-बार आप का यू छुप जाना,अँधेरा हुआ भी

नहीं और बिन बताए हमी से दूर चले जाना..तेरी रुखसती कितनी महंगी पड़ती है हमे,बताए तुझे कैसे

कि हम को बार-बार भूल जाना आदत है तेरी..और एक हम है आईना भी देखते है जब-जब,अपनी

सूरत मे तेरी ही सूरत दिखाई देती है हमे ...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...