बेबसी मे क्यों नीर इन नैनो से निकल आए...तू बहुत दूर है मुझ से,यह सोच कर नैना फिर भर आए..
इक सांस जो आती है,इक सांस जो जाती है..तेरे नाम को याद करते आती-जाती है..तेरा आना भी
नामुमकिन है,तेरा मिलना तो बहुत दूर का कोई सपना है..ख़ामोशियों मे अक्सर तेरी आवाज़ सुनाई
देती है..आंख से निकल कर दो बून्द आंसू पन्नो पे गिर जाते है..तेरे लिखे नाम को यह फिर भी ना
मिटा पाते है...
इक सांस जो आती है,इक सांस जो जाती है..तेरे नाम को याद करते आती-जाती है..तेरा आना भी
नामुमकिन है,तेरा मिलना तो बहुत दूर का कोई सपना है..ख़ामोशियों मे अक्सर तेरी आवाज़ सुनाई
देती है..आंख से निकल कर दो बून्द आंसू पन्नो पे गिर जाते है..तेरे लिखे नाम को यह फिर भी ना
मिटा पाते है...