Sunday 1 December 2019

बेबसी मे क्यों नीर इन नैनो से निकल आए...तू बहुत दूर है मुझ से,यह सोच कर नैना फिर भर आए..

इक सांस जो आती है,इक सांस जो जाती है..तेरे नाम को याद करते आती-जाती है..तेरा आना भी

नामुमकिन है,तेरा मिलना तो बहुत दूर का कोई सपना है..ख़ामोशियों मे अक्सर तेरी आवाज़ सुनाई

देती है..आंख से निकल कर दो बून्द आंसू पन्नो पे गिर जाते है..तेरे लिखे नाम को यह फिर भी ना

मिटा पाते है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...