Tuesday 10 December 2019

जिस्मो-जान हो या मेरी रूह की ताकत..पलकों का आशियाना हो या इन आँखों की नमी..तेरे लिए

दुआ की कही कोई कमी आज भी नहीं..तू है पूजा का वो फूल,जिस के लिए इबादत भी है और तेरी

इनायत भी की है मैंने...कौन सी राह ऐसी होगी,जहा तेरे चलने से पहले खुद को ना बिछाया होगा मैंने..

बस एक गुजारिश,प्यार से सींचे रहना दामन मेरा..साँसों का यह पिंजरा ताउम्र  कैद रहे बस तेरी उल्फत

की छाँव तले..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...