जिस्मो-जान हो या मेरी रूह की ताकत..पलकों का आशियाना हो या इन आँखों की नमी..तेरे लिए
दुआ की कही कोई कमी आज भी नहीं..तू है पूजा का वो फूल,जिस के लिए इबादत भी है और तेरी
इनायत भी की है मैंने...कौन सी राह ऐसी होगी,जहा तेरे चलने से पहले खुद को ना बिछाया होगा मैंने..
बस एक गुजारिश,प्यार से सींचे रहना दामन मेरा..साँसों का यह पिंजरा ताउम्र कैद रहे बस तेरी उल्फत
की छाँव तले..
दुआ की कही कोई कमी आज भी नहीं..तू है पूजा का वो फूल,जिस के लिए इबादत भी है और तेरी
इनायत भी की है मैंने...कौन सी राह ऐसी होगी,जहा तेरे चलने से पहले खुद को ना बिछाया होगा मैंने..
बस एक गुजारिश,प्यार से सींचे रहना दामन मेरा..साँसों का यह पिंजरा ताउम्र कैद रहे बस तेरी उल्फत
की छाँव तले..