Tuesday 31 December 2019

बेशक घिरे हो बादल घनेरे या फिर गरजे कोई अँधेरा..डरना क्यों है जब साथ है नया सवेरा..जब

तल्क़ सवेरा आने को है,चांदनी ने पुकारा अपने चाँद को बेहद प्यार से..भूल जा ना सारे शिकवे गिले

कल सवेरा आए गा और तुझे मुझे दूर दूर कर जाए गा..गरूर तुझे किस बात का है,रहना तो मुझे

तुझे अब साथ है..यह तो पुरानी रीत है,डर के कौन जी पाया है..साथ हू अपने चाँद के तो डर है किस

बात का..इस सवेरे के रंग मे तेरा मेरा वज़ूद,कमतर है मगर चांदनी फिर भी तेरे साथ है.. 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...