परदे मे रहे या बाहर इस परदे के,बात तो तेरे दीदार की है...खुली आँखों से देखे या बंद रहो इन आँखों
मे,तागीद तो सिर्फ तेरे सपनो मे आने की है...साथ मेरे हो या हज़ारो मीलो की दूरी हो,एहसास तो हर
पल तेरे नज़दीक होने का है..कौन कहता है,मुहब्बत साथ-साथ जीने का नाम है..हर लम्हा तेरा नाम
लबों पे रहे,सोते-जागते तू रूह मे रहे..हर सांस तेरे नाम से ले,फिर कौन कहां है इस की खबर कैसे
रहे..रूहे तो आज़ाद होती है,फिर तेरी रूह से मिलने के लिए..हम-तुम कही भी रहे,बात तो सिर्फ साथ
जुड़ने की है...
मे,तागीद तो सिर्फ तेरे सपनो मे आने की है...साथ मेरे हो या हज़ारो मीलो की दूरी हो,एहसास तो हर
पल तेरे नज़दीक होने का है..कौन कहता है,मुहब्बत साथ-साथ जीने का नाम है..हर लम्हा तेरा नाम
लबों पे रहे,सोते-जागते तू रूह मे रहे..हर सांस तेरे नाम से ले,फिर कौन कहां है इस की खबर कैसे
रहे..रूहे तो आज़ाद होती है,फिर तेरी रूह से मिलने के लिए..हम-तुम कही भी रहे,बात तो सिर्फ साथ
जुड़ने की है...