Sunday 15 December 2019

अंदाज़े-बयां देख हमारा,उस की धड़कनो ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी..उस रफ़्तार की गूंज जब तक हम

तक पहुँचती,तब तल्क़ हम ने मुहब्बत की बाज़ी अपने हाथ मे ले ली..डरे-सहमे वो पास हमारे आए..

कुछ तो कीजिए ना इस रफ़्तार का,यह आप के सिवा किसी की बात कहा सुनती है..दिल के मरीज़ हो

तो पास हमारे क्यों आए हो..देख उन की रोनी सूरत,हम जो हँसे इतना हँसे..रफ्त्तार तो रफ्त्तार रही वो

तो हमारी जान के दुश्मन ही हो गए..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...