Saturday 14 December 2019

हम को..हमारे लफ्ज़ो को पढ़ने के लिए दिल जरा मजबूत होना चाहिए..हम हमेशा प्यार-प्रेम को

पन्नो पे नहीं बिखेरते..दर्द का पलड़ा भी साथ-साथ रहता है,उस के साथ जीवन का गहरा पैगाम भी

उसी का साथ देता लगता है...प्रेम भी तो मांगता है कुछ बलिदान..सब कुछ प्यार मे आसानी से मिल

जाता तो मशक्कत कौन करता मुहब्बत मे फ़ना होने के लिए...हज़ारो दिए जलते है तो दूर कुछ

अँधेरा होता है..सोचिए मुहब्बत तो रूह का साज़ है,इस को समझने के लिए दिल तो मजबूत होना

ही चाहिए..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...