हम को..हमारे लफ्ज़ो को पढ़ने के लिए दिल जरा मजबूत होना चाहिए..हम हमेशा प्यार-प्रेम को
पन्नो पे नहीं बिखेरते..दर्द का पलड़ा भी साथ-साथ रहता है,उस के साथ जीवन का गहरा पैगाम भी
उसी का साथ देता लगता है...प्रेम भी तो मांगता है कुछ बलिदान..सब कुछ प्यार मे आसानी से मिल
जाता तो मशक्कत कौन करता मुहब्बत मे फ़ना होने के लिए...हज़ारो दिए जलते है तो दूर कुछ
अँधेरा होता है..सोचिए मुहब्बत तो रूह का साज़ है,इस को समझने के लिए दिल तो मजबूत होना
ही चाहिए..
पन्नो पे नहीं बिखेरते..दर्द का पलड़ा भी साथ-साथ रहता है,उस के साथ जीवन का गहरा पैगाम भी
उसी का साथ देता लगता है...प्रेम भी तो मांगता है कुछ बलिदान..सब कुछ प्यार मे आसानी से मिल
जाता तो मशक्कत कौन करता मुहब्बत मे फ़ना होने के लिए...हज़ारो दिए जलते है तो दूर कुछ
अँधेरा होता है..सोचिए मुहब्बत तो रूह का साज़ है,इस को समझने के लिए दिल तो मजबूत होना
ही चाहिए..