Saturday 28 December 2019

यह तो पायल की मर्ज़ी थी कि वो अपनी छन छन से धरा को मोहित कर दे..यह तो कंगना का फैसला

था वो कलाइयों को सजने का सरूर दे या ना दे..झुमकों ने तो बात मानी पायल और कंगन की,तेरे

बिना अब मेरा अस्तित्व कहां..करधनी है साथ मे,फिर मलाल किस बात का..सब ने कहा रूप से,है

तेरा वज़ूद बस हमीं से..रूप की यह खास अदा,साथ किसी का ना चाहिए..जो सादगी मेरे पास है,उस

के लिए तुम्हारे साथ की क्या बात है..मोहताज़ नहीं  किसी शृंगार के,हम तो भरे है नूर से बिन किसी के

साथ के..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...