यह तो पायल की मर्ज़ी थी कि वो अपनी छन छन से धरा को मोहित कर दे..यह तो कंगना का फैसला
था वो कलाइयों को सजने का सरूर दे या ना दे..झुमकों ने तो बात मानी पायल और कंगन की,तेरे
बिना अब मेरा अस्तित्व कहां..करधनी है साथ मे,फिर मलाल किस बात का..सब ने कहा रूप से,है
तेरा वज़ूद बस हमीं से..रूप की यह खास अदा,साथ किसी का ना चाहिए..जो सादगी मेरे पास है,उस
के लिए तुम्हारे साथ की क्या बात है..मोहताज़ नहीं किसी शृंगार के,हम तो भरे है नूर से बिन किसी के
साथ के..
था वो कलाइयों को सजने का सरूर दे या ना दे..झुमकों ने तो बात मानी पायल और कंगन की,तेरे
बिना अब मेरा अस्तित्व कहां..करधनी है साथ मे,फिर मलाल किस बात का..सब ने कहा रूप से,है
तेरा वज़ूद बस हमीं से..रूप की यह खास अदा,साथ किसी का ना चाहिए..जो सादगी मेरे पास है,उस
के लिए तुम्हारे साथ की क्या बात है..मोहताज़ नहीं किसी शृंगार के,हम तो भरे है नूर से बिन किसी के
साथ के..