Tuesday 31 December 2019

''सरगोशियां.इक प्रेम ग्रन्थ' की यह शायरा..अपने सभी दोस्तों को नए साल की मुबारकबाद देती है...२०१९ साल मे यह शायरा अपने शब्दों के जादू से कितना आप का मन जीत पाई,नहीं जानती..बस इतना जानती हू यह मेरी मेहनत और मेरे लफ्ज़ ही थे जो आप को यह सब पढने पे विवश करते रहे..२०२० साल मे मेरी पूरी कोशिश होगी कि मैं इस प्रेम ग्रन्थ को और जयदा भव्य और खूबसूरत लफ्ज़ो से सजा सकू...जिस मे प्रेम,प्यार और मुहब्बत का हर पहलू हो...प्रेम,विरह,विविशता,बेवफाई,समर्पण,अलगाव और भी ना जाने कितने रूपों से जुड़ा है प्रेम ग्रन्थ का यह दौर..अपने शब्दों से,अपनी कलम से मैं आप सभी के दिलो को छू सकू,यह मेरी पूरी कोशिश रहे गी..मेरी कलम किसी भी खास इंसान के लिए नहीं लिखती..यह सिर्फ प्रेम के हर उस पहलू को लिखती है,जो किसी के भी जीवन से जुड़ा हो सकता है..किसी की भावना को मेरे लिखे शब्दों से गर ठेस पहुंची हो तो माफ़ी चाहती हू..कोई भी इंसान यह ना सोचे कि यह उस के लिए लिखा गया है..प्रेम शुद्धता को पेश करता है और प्यार-मुहब्बत को इक नए सिरे से लिखता है..शुभकामनाये..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...