दो जोड़ी आँखों का हर जगह रहना..तुझे तो खबर ही नहीं,अपनी पलकों के आशियाने से तेरी हर बला
को टाल देना..रूहे-ताकत बहुत है हम मे..रेत मे भी जब चलते है हमारे कदम,वही रेत बिखरती है तेरी
राहो को सँवारने के लिए...हंस के ना टाल मेरी बात को,मेरी ख़ामोशी तक खुदा के दरबार तक जाती
है...वो जो कह दे दुनियाँ की भीड़ मे खो जा,उस का हुकम जो हो जाए हम तो अपनी साँसों को भी किसी
को दे जाए..यह ताकत भी उसी का वरदान है,जिस के कदमो मे हर पल हमारी पहचान है..
को टाल देना..रूहे-ताकत बहुत है हम मे..रेत मे भी जब चलते है हमारे कदम,वही रेत बिखरती है तेरी
राहो को सँवारने के लिए...हंस के ना टाल मेरी बात को,मेरी ख़ामोशी तक खुदा के दरबार तक जाती
है...वो जो कह दे दुनियाँ की भीड़ मे खो जा,उस का हुकम जो हो जाए हम तो अपनी साँसों को भी किसी
को दे जाए..यह ताकत भी उसी का वरदान है,जिस के कदमो मे हर पल हमारी पहचान है..