Friday 6 December 2019

ना जुबाँ से कुछ कहा ना निग़ाहों ने कुछ कहा...बस आँखों की चमक ने, उस के दिल का दरवाजा खोल

दिया..इकरार ना उस ने किया ना हाले-दिल हम से कहा गया..मगर मुहब्बत का दिया रौशन जहाँ बस

कर गया..अब तो याद यह भी नहीं कि प्यार की राह पे,कदम पहले किस ने रखा...जहाँ तक यादों मे

आता है,कदम शुरू मे भी साथ चले थे..जैसे अब साथ चलते है...बस कुदरत के करिश्मे पे फिर से

यकीं हो जाता है..नाम तो आज भी याद कर,चेहरा सुर्ख हो जाता है..शायद रंग प्यार का ऐसा ही होता

है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...