ना जुबाँ से कुछ कहा ना निग़ाहों ने कुछ कहा...बस आँखों की चमक ने, उस के दिल का दरवाजा खोल
दिया..इकरार ना उस ने किया ना हाले-दिल हम से कहा गया..मगर मुहब्बत का दिया रौशन जहाँ बस
कर गया..अब तो याद यह भी नहीं कि प्यार की राह पे,कदम पहले किस ने रखा...जहाँ तक यादों मे
आता है,कदम शुरू मे भी साथ चले थे..जैसे अब साथ चलते है...बस कुदरत के करिश्मे पे फिर से
यकीं हो जाता है..नाम तो आज भी याद कर,चेहरा सुर्ख हो जाता है..शायद रंग प्यार का ऐसा ही होता
है...
दिया..इकरार ना उस ने किया ना हाले-दिल हम से कहा गया..मगर मुहब्बत का दिया रौशन जहाँ बस
कर गया..अब तो याद यह भी नहीं कि प्यार की राह पे,कदम पहले किस ने रखा...जहाँ तक यादों मे
आता है,कदम शुरू मे भी साथ चले थे..जैसे अब साथ चलते है...बस कुदरत के करिश्मे पे फिर से
यकीं हो जाता है..नाम तो आज भी याद कर,चेहरा सुर्ख हो जाता है..शायद रंग प्यार का ऐसा ही होता
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