Saturday 7 December 2019

गुस्ताखी कर ना कर,राहों मे तेरी फिर भी आए गे..कशिश ही कुछ ऐसी है हम मे,तेरे दिल को तुझी

से ले जाए गे..नज़ारा देखा है कभी समंदर का,बहुत गुमान है उस को अपनी गहराई पे..अक्सर रुक

जाता है सतह पे,खुद को सहज बताने के लिए...यह जाने बगैर कि वो खारा है अंदर से कितना..वही

बात तो तुझ मे है..एहसास है तुझे कि तू कितना खारा है,बिन मेरे तेरा कहा गुजारा है..आना ही पड़े गा

पास मेरे तुझ को,कि मीठा होना हम ने ही तुझ को सिखाया है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...