हंस दिए क्यों बिन बात पे...फिर अपनी ही राह पे चल दिए क्यों बिन बात के..महकने के लिए बस
काफी है खुद की ही दीदारे-नज़र..आईना भी कुछ कहता नहीं,हमारे हुस्न के रूहाब मे..मुस्कुरा दे
तो, ज़माना बात सिर्फ हमारी करता है..ओझल जो हो जाए नज़रो से,सलामती हमारी बस सोचता
रहता है..हम तो ठहरे आज़ाद परिंदे,किसी की कहां सुनते है..मस्त है बस अपनी ही धुन मे,किसी
के बारे मे नहीं सोचते है..हंस दिए यह सोच कर,खुद से प्यार कर गलत हम कहां हो गए...
काफी है खुद की ही दीदारे-नज़र..आईना भी कुछ कहता नहीं,हमारे हुस्न के रूहाब मे..मुस्कुरा दे
तो, ज़माना बात सिर्फ हमारी करता है..ओझल जो हो जाए नज़रो से,सलामती हमारी बस सोचता
रहता है..हम तो ठहरे आज़ाद परिंदे,किसी की कहां सुनते है..मस्त है बस अपनी ही धुन मे,किसी
के बारे मे नहीं सोचते है..हंस दिए यह सोच कर,खुद से प्यार कर गलत हम कहां हो गए...