Thursday 12 December 2019

यू तो दरख्तों को इज़ाज़त नहीं दी हम ने,बेवजह झुकने के लिए...हज़ारो आँधिया आती रहे बेशक,तुम

रहना सदा रुतबे को संभाले हुए..धूप-छाँव का खेल भी बहुत सताए गा तुझे,बारिशों का मौसम बेवजह

भिगोए गा तुझे..कमजोर हुए जो खुद के अंदर से,यह ज़माना सीधे से काट डालें गा तुझे..खफा ना होना

उस बहते नीर से,जो हर मौसम मे सँवारे गा तुझे..ताकत तो वही बने गा तेरी हरदम,जो तेरी जड़ो को

सींचे गा दुलार से अपने..याद रहे,हज़ारो फलों से जब लद जाओ गे,तभी इज़ाज़त दे गे  हम तुझे झुकने के

लिए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...