रूप के चर्चे चारो और..निगाहो से घायल कितने लोग..फ़िज़ा मे आए तो फ़िज़ा बोली ,मेरा सलाम
तुझे बारम्बार...कदम रख दिए जहा भी हम ने,पिघली धरती झुका आसमान..एक इशारा पाते ही
सूरज छुपा बादलो के उस पार..नज़र लगे ना कही ऐसी वैसी,घटा काली आ गई हमारे साथ..देख
नज़ारा मौसम का,हम चल दिए फूलो के द्वार...थिरक रहे है कदम हमारे,क्यों कर रहे सब हम से
इतना प्यार...
तुझे बारम्बार...कदम रख दिए जहा भी हम ने,पिघली धरती झुका आसमान..एक इशारा पाते ही
सूरज छुपा बादलो के उस पार..नज़र लगे ना कही ऐसी वैसी,घटा काली आ गई हमारे साथ..देख
नज़ारा मौसम का,हम चल दिए फूलो के द्वार...थिरक रहे है कदम हमारे,क्यों कर रहे सब हम से
इतना प्यार...