Friday 27 December 2019

''सरगोशियां,इक प्रेम ग्रन्थ'' इस साल मेरी सरगोशियां मे आप सब  ने प्रेम के हज़ारो रंगो से इस को सजे देखा..कभी खुशियों से महकते,कभी दीवानगी मे रमे,कभी कभी रोते हुए यह सरगोशियां,हिम्मत भरे शब्द आप तक पहुँचाती रही...मुहब्बत की गहराई को समझाती,परिशुद्ध प्रेम की परिभाषा को कोमल शब्दों मे ढालती...समाज को प्यार-मुहब्बत का पाक मतलब बताती मेरी खूबसूरत सी सरगोशियां...दुःख-दर्द की सीमा से परे,प्यार को प्यार से समझाती मेरी सरगोशियां..राधा-कृष्णा के अलौकिक प्रेम का उदाहरण देती,सतयुग के प्रेम को फिर से इस कलयुग मे वापिस लाती मेरी सरगोशियां...देह-जिस्म के मोह से दूर,हवस की माया से परे..सिर्फ रूह के परिशुद्ध प्रेम मे डूबी हुई,अंत तक प्रेम मे समा जाने का मतलब समझाती मेरी सरगोशियां...साल २०१९ आप सभी का और हमारा साल रहा...सरगोशियां को बेहद प्यार से अपना बनाने का शुक्रिया...अगले साल यह सरगोशियां,फिर से प्यार के हज़ारो रंगो को साथ लिए,करोड़ो प्रेम शब्दों की जननी है मेरी सरगोशियां....''सरगोशियां,इक प्रेम ग्रन्थ''  दोस्तों...बहुत बहुत शुक्रिया...इस को अपना समझने के लिए..आप की अपनी शायरा....''सरगोशियां,इक प्रेम ग्रन्थ'' के अस्तित्व की धरोधर...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...