बरसों हम आगे बरसों तुम पीछे...कदम फिर भी हम साथ बढ़ाते रहे..रूह की कदर की और रूह
की और ही बढ़ते रहे..जाने-अनजाने भी ना सोचा,कदम कहाँ किस ने पहले रखा..वादा तो कदमो
की रफ़्तार का था..ज़िंदगी मे पहले कौन आया,किस ने कब किस को अपनाया...अनंत काल के प्रेम
मे कदमो की आहट कहाँ होती है..इबादत जहाँ होती है,वहाँ उम्र और पहल की दस्तक कहाँ सुनती
है...राधा सिर्फ राधा होती है,कृष्ण किस का है यह खबर उस को कहाँ होती है...परिशुद्ध प्रेम की
मिसाल सिर्फ राधा क्यों होती है,कृष्णा को परखने के लिए वो वचन-बद्ध होती है..
की और ही बढ़ते रहे..जाने-अनजाने भी ना सोचा,कदम कहाँ किस ने पहले रखा..वादा तो कदमो
की रफ़्तार का था..ज़िंदगी मे पहले कौन आया,किस ने कब किस को अपनाया...अनंत काल के प्रेम
मे कदमो की आहट कहाँ होती है..इबादत जहाँ होती है,वहाँ उम्र और पहल की दस्तक कहाँ सुनती
है...राधा सिर्फ राधा होती है,कृष्ण किस का है यह खबर उस को कहाँ होती है...परिशुद्ध प्रेम की
मिसाल सिर्फ राधा क्यों होती है,कृष्णा को परखने के लिए वो वचन-बद्ध होती है..